मोहल्ला मीर का हो जहां वहीं मक़ान हो अपना
ग़ली ग़ालिब की हो और ऊर्दू ज़बान हो अपना
मेरा ये शेर मेरी ज़िंदगी का वो आइना है जिसमें आपको मेरा अक्स दिखेगा. 2BHK का ख्वाब देखने वाले दौर में ग़ालिब और मीर के मोहल्ले में रहने की ख्वाहिश रखने वाला ये साधारण सा लड़का आपको वक्त बेवक्त पुरानी दिल्ली में कभी उर्दू बाज़ार तो कभी बल्लिमारान में शायरी सुनता-सुनाता मिल जाएगा. नाम संकल्प है. पेशा पत्रकारिता और मैजूदा समय में एबीपी न्यूज़ के साथ बतौर डिजिटल-जर्नलिस्ट काम कर रहा हूं. किताबें पढ़ने का बेहद शौक है. साहित्य और कला में रुचि है. कभी मिलेंगे तो बात सआदत हसन मंटो या साहिर लुधयानवी से शुरू होकर विलियम शेक्सपीयर तक पहुंचेगी. आलोचना हर तरह से स्वीकार है. नए-नए लोगों से मिलना और उनकी कहानी जानने में दिलचस्पी रहती है. खाली वक्त में जमकर किशोर कुमार के गाने सुनता हूं. फिलहाल जिंदगी का मकसद एक बड़ी सी लाइब्रेरी का निर्माण करना है जहां मुफ्त में सब किताबें पढ़ सकें.